📖 श्रीमद्भगवद्गीता का सार
श्रीमद्भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह आत्मज्ञान, नैतिकता और जीवन के वास्तविक उद्देश्य की ओर ले जाने वाला दार्शनिक प्रकाशस्तंभ भी है। यह ग्रंथ युद्धभूमि में अर्जुन जैसे असमंजस में पड़े हर मनुष्य के भीतर चल रहे संघर्ष का प्रतीक है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण द्वारा दिया गया उपदेश हर युग और हर व्यक्ति के लिए उतना ही प्रासंगिक है जितना कि उस काल के लिए था।
गीता का प्रत्येक श्लोक जीवन को देखने का एक नया दृष्टिकोण देता है — चाहे वह कर्म का सिद्धांत हो, भक्ति का मार्ग, आत्मा की अमरता, या फिर निष्काम कर्म। यह हमें बताती है कि जीवन में कर्तव्य से विमुख होना मोह है, और ज्ञान द्वारा ही आत्मा का बोध संभव है।
यही ग्रंथ अब हिन्दी में सुलभ है — सहज, गहराईपूर्ण और मूल भाव से युक्त। पढ़ें, समझें और आत्मचिंतन में डूबें।